महराजगंज: जिलाधिकारी ने पराली जलने की घटनाओं का स्थलीय निरीक्षण किया
महराजगंज: पिछले कुछ दिनों से जिले में पराली जलने की शिकायतें लगातार आ रही थीं। कई गांवों के लोग धुएं की वजह से परेशान भी थे। इसी बीच, बुधवार को जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा ने खुद स्थिति देखने का मन बनाया और बिना किसी औपचारिक सूचना के ही सदर तहसील क्षेत्र की तरफ निकल पड़े। गांवों में अचानक डीएम की गाड़ी रुकने से लोग भी हैरान रह गए।
सबसे पहले वे रामपुर बुजुर्ग पहुंचे। खेतों के बीच चलते हुए उन्होंने कई जगहों पर जली हुई पराली के निशान देखे। मिट्टी पर अभी भी काले-काले टुकड़े पड़े थे। थोड़ा आगे बढ़े तो एक कंबाइन मशीन धान काटती दिखाई दी। मशीन रुकवाई गई और पता चला कि उस पर SMS (सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम) नहीं लगा था। नियमों के खिलाफ देखकर डीएम ने वहीं पर मशीन को सीज करने का निर्देश दे दिया।
पास खड़े किसानों से उन्होंने पूछा कि आखिर लोग पराली क्यों जला रहे हैं। किसी ने कहा मजदूर नहीं मिलते, किसी ने बताया कि कटाई के बाद खेत साफ करना बड़ा मुश्किल काम है। किसानों की बातें सुनकर डीएम ने बहुत साधारण तरीके से समझाया—
“देखो, पराली जलाने से थोड़ी देर का फायदा लग सकता है, लेकिन इससे जमीन की ताकत घटती है, हवा में धुआं फैलता है और गांव के बच्चों-बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। खेत तुम्हारा है, नुकसान भी तुम्हारा ही होगा।”
उन्होंने किसानों को यह भी बताया कि पराली को जलाने की बजाय हैप्पी सीडर, SMS मशीन या कम्पोस्ट बनाने जैसे तरीके अपनाना बेहतर है। जो किसान चाहें, अपनी अतिरिक्त पराली पास की गौशाला को दे सकते हैं। डीएम ने भरोसा दिलाया कि ढुलाई का इंतज़ाम प्रशासन करेगा ताकि किसी को परेशानी न हो।
निरीक्षण के दौरान डीएम कई बार रास्ते में रुककर खेतों को ध्यान से देखते रहे। कहीं जली पराली दिखी तो कहीं राख की परत। उन्होंने साथ चल रहे अधिकारियों से पूछा कि गांवों में निगरानी कैसे हो रही है और अब तक किस-किस के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है। जिन खेतों में पराली जली थी, उनके मामलों को उन्होंने वहीं मौके पर एसडीएम सदर को सौंप दिया।
निरीक्षण खत्म होने के बाद डीएम ने अधिकारियों से साफ कहा कि इस बार पराली जलाने की घटनाओं को हल्के में बिलकुल न लें। उन्होंने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट और NGT ने पराली जलाने को लेकर काफी सख्त दिशा-निर्देश दिए हुए हैं। इसलिए अगर कोई किसान नियमों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ जुर्माना, मुकदमा—जो भी जरूरी हुआ—किया जाएगा।
अंत में उन्होंने कृषि विभाग को हिदायत दी कि पराली प्रबंधन से जुड़े उपकरण, चाहे वे सब्सिडी पर मिल रहे हों या मुफ्त में, उनकी जानकारी हर किसान तक पहुंचाई जाए। डीएम ने कहा कि जब तक किसान खुद जागरूक नहीं होंगे, समस्या खत्म नहीं होगी। गांव-गांव जाकर किसानों को समझाना ही सबसे बड़ा समाधान है।


