Gorakhpur News AQI: यूपी के इस जिले में ओस की बूंदें बढ़ा रहीं, दीपावली के बाद AQI खराब हो सकता है

Rahul
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मौसम बदलने से गोरखपुर की वायु गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। 


रात में ओस गिरने से हवा में नमी बढ़ रही है, जिससे प्रदूषण के कणों की परत जम रही है। दीपावली के बाद स्थिति और खराब हो सकती है। विशेषज्ञों ने बच्चों, बुजुर्गों और सांस के मरीजों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। वायु गुणवत्ता सूचकांक मध्यम श्रेणी में है। मौसम के बदलाव का असर वायु गुणवत्ता दिखाई देने लगा है। रात में ओस पड़ने से जहां ठंड का अहसास हो रहा है। वहीं हवा में अति सूक्ष्म कणों की परत जमा होने से वायु गुणवत्ता प्रभावित होने लगी है। दीपावली के बाद वायु गुणवत्ता (एयर क्वालिटी इंडेक्स- एक्यूआइ) के खराब दशा में पहुंचने की आशंका है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून में वर्षा के कारण हवा में मौजूद प्रदूषण के कारक धुल जाते हैं, 

जिससे वायु गुणवत्ता में सुधरी रहती है। अक्टूबर में जहां दिन में सतही स्तर पर शुष्क पछुआ/उत्तरी-पश्चिमी हवाएं प्रचलित हैं। वहीं रात में ओस गिरने की वजह से हल्की ठंड का अहसास हो रहा है। ओस पड़ने से हवा में नमी बढ़ जा रही है। इस वजह से वायु में उड़ने वाले प्रदूषण के कारक अति सूक्ष्म कण, धूल, धुंआ इत्यादि ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें उनकी परत जमने के कारण वायु गुणवत्ता प्रभावित होने लगी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से निर्धारित मानक के अनुसार 24 घंटे में हवा में घुली अति सूक्ष्म कणों की अधिकतम मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए। धूल कणों की अधिकतम मात्रा 100

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 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं हो। लेकिन सूक्ष्म कण और धूल कणों की मात्रा बढ़ रही है। सोमवार को अति सूक्ष्म कणों (पीएम 2.5) की मात्रा का औसत 83 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर एवं धूल कणों की उपलब्धता का औसत 102 दर्ज किया गया। इस वजह से वायु गुणवत्ता का सूचकांक 125 मध्यम दर्ज किया गया। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक विज्ञानी राम मिलन वर्मा ने बताया कि रात में ओस पड़ने लगी। 

इससे नमी बढ़ने के कारण हवा में प्रदूषण के कारकों की परत जम जा रही है। इस कारण वायु गुणवत्ता में बदलाव होने लगा है। बीआरडी मेडिकल कालेज में टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग के अध्यक्ष डा. अश्वनी मिश्रा ने बताया कि ऐसे मौसम में बच्चों, बुजुर्गों और सांस से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। फेफड़े, अस्थमा और दिल की बीमारियों से जूझ रहे लोगों को वायु प्रदूषण से दिक्कत हो सकती है। उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों को सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचना चाहिए। धूल इत्यादि उड़ने वाले स्थानों पर एन-95 मास्क पहनना चाहिए। साफ-सफाई के दौरान गीले कपड़े का उपयोग करने से धूल उड़ने से रोका जा सकता है। वायु गुणवत्ता का मानक 0- 50 अच्छा 51- 100 संतोषजनक 101- 200 मध्यम 201- 300 खराब 301-400 अत्यंत खराब 400 या उससे ऊपर - गंभीर इन मानकों के अनुसार, लोगों को अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। विशेषकर, यदि वायु गुणवत्ता 'खराब' या 'अत्यंत खराब' के स्तर पर हो, तो घर के भीतर रहने और एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। इस स्थिति में, लोगों को बाहर जाने से बचना चाहिए और शारीरिक गतिविधियों को सीमित करना चाहिए। इसके अलावा, स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और उचित पोषण का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है ताकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनी रहे।
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