Educated but Underemployed: B.Ed & BTC Women Turning Bus Conductors on Contract

Rahul
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बीएड-बीटीसी पास महिलाओं की संविदा नौकरी

बीएड-बीटीसी पास महिलाएं अब बसों में टिकट काटेंगी: बदलाव या सिस्टम की लाचारी?

उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की नई तस्वीर सामने आई है। बीएड और बीटीसी जैसी प्रोफेशनल डिग्रियां रखने वाली महिलाएं अब रोडवेज बसों में बतौर कंडक्टर संविदा पर काम करती नजर आएंगी। सवाल उठता है - ये रोजगार का अवसर है या योग्यता का अपमान?

योग्यता और पद का असंतुलन

शिक्षा के क्षेत्र में मेहनत कर बीएड, बीटीसी करने वाली महिलाओं का सपना होता है शिक्षक बनने का, लेकिन सिस्टम ने उन्हें ऐसी नौकरी में भेज दिया जहां न तो उनका स्किल सही से इस्तेमाल हो रहा है और न ही योग्यता को सम्मान मिल रहा।

"न्याय और मेरिट के आधार पर चयन किया गया" — विभागीय अधिकारी

किसकी गलती? सरकार या अभ्यर्थी?

यह सवाल उठाना लाजमी है - गलती किसकी है? क्या ये सरकार की नीति की कमी है जो योग्य उम्मीदवारों को उनके लायक नौकरी नहीं दे पा रही? या फिर अभ्यर्थियों की मजबूरी जो किसी भी काम को करने को तैयार हैं क्योंकि विकल्प नहीं हैं?

समाधान क्या है?

  • शिक्षा क्षेत्र में रिक्त पदों को समय पर भरना
  • योग्यता के अनुसार रोजगार उपलब्ध कराना
  • संविदा नहीं, स्थायी रोजगार की नीति बनाना

बीएड, बीटीसी पास महिलाओं का टिकट काटना कोई शर्म की बात नहीं, लेकिन यह जरूर सोचने वाली बात है कि योग्यता का सही उपयोग कैसे किया जाए।

हमारा सिस्टम कब बदलेगा? जवाब आज भी हवा में है...

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